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कुंडली का सातवां घर विवाह शादी के लिए होता है ये सब को पता है परन्तु यहाँ कुछ चीजें जो हम बताने जा रहे हैं उनके बारे में भी सोचना। आपको कुछ बहुत रहस्य की बातें पता चलेंगी।

जीने की वजह

जीने की वजह हर किसी की अलग होती है। दुनिया में अपने लिए शायद ही कोई जीता हो परन्तु एक बात पक्की है। जिसकी कुंडली में सातवां घर बलवान हो वह अपना पूरा जीवन समर्पित कर देता है किसी और के लिए। आपने गलत सोचा कि पार्टनर के लिए। बल्कि पार्टनर के आने के बाद ही जीने की असली वजह शुरू होती है।

दूसरी जिंदगी की शुरुआत

इस स्थान के एक्टिवेट होने के बाद जीवन समझ में आने लगता है। उससे पहले निद्रा की अवस्था में जातक जाग कर भी सो रहा होता है।

हर ग्रह के अनुसार जीने की राह अलग है।

सूर्य सातवें घर में हो तो

विवाह मायने नहीं रखता उनके लिए। वे कोशिश करते हैं इसे टालने की। जिसमे ये कामयाब भी रहते हैं। बाद में पता चलता है कि जो इन्होने सोचा था वही सही था।

चंद्र सातवें घर में

चंद्र सातवें घर में हो तो। एक न एक दिन व्यक्ति को एहसास होता है कि उसका जीवन कितना अकेला है। कितना ही अपने जीवन साथी के लिए बलिदान दे उसे बाद में तन्हाई ही मिलती है। फिर जीवन का मकसद पैसा कामना रह जाता है। सच्चे प्यार की तलाश में जातक पैसा कमाता है। फिर भी जब सच्चा प्यार नहीं मिलता तो व्यसन में पड़ जाता है।

मंगल सातवें घर में

जिंदगी का पहला और आखरी मकसद अपने आप को साबित करना होता है। क्योंकि दुनिया की नजरों में जातक कभी सेटल नहीं होता। पैसे की किल्लत बनी ही रहती है। फिर जब एक मुकाम पर व्यक्ति पहुँच जाता है तो उस सारे जीवन की कमाई पर अधिकार उसका नहीं रहता। आजादी ख़त्म।

बुध सातवें घर में

जातक या तो जीवन में परिवार के प्रति कामयाब होगा या फिर बिजनेस में। अगर नौकरी करेगा तो बुध सोया रहेगा। मनचाहा प्यार मिलकर भी नहीं मिलेगा। पता चलता है जिसे सारी जिंदगी प्यार किया वो भावना से हीन था। उसे प्यार जताना आता था पर शादी से पहले। पर बिजनेस कारोबार इतना बढ़ा लेगा कि जब चाहे अपना रास्ता बदलने को तैयार रहेगा।

सातवें घर में बृहस्पति

जिंदगी में अपना वजूद तलाश करते करते जातक बहुत दूर निकल चुका होगा। क्योंकि बचपन से ही साबित कर देगा कि उसे कुछ बड़ा करना है। करेगा भी कोई उल्लेखनीय काम परन्तु जैसे ही शादी होगी, अपने जीवन साथी के सूरज की रौशनी में इसका अस्तित्व खो जायेगा। देखा है किसी होनहार व्यक्ति को विवाह के बाद चमकते चाँद की तरह जो एक दिन टूटा तारा भी न रहा।

शुक्र सातवें घर में

जीवन की शुरुआत में तो ठोकरों के सिवाय कुछ नहीं था परन्तु जब जब जीवन में विपरीत लिंग के लोगों ने दस्तक दी तभी कुछ मिला। किसी अनाड़ी हीरो बनते देर नहीं लगती जब शुक्र सातवें घर का हो। सोने पे सुहागा तो उस समय होगा जब अपने खानदान में सबसे होशियार और काबिल जीवनसाथी मिलेगा। जीवनसाथी के मिलने की देर थी कि फिर नौकरी करने की नौबत नहीं आएगी।

शनि सातवें घर में

मनमाना जीवन और गैरतमंद साथी की वजह से तन्हाई के दिन कभी याद नहीं आएंगे। नौकरी ऐसी होगी कि खुद ही मालिक जैसा रुतबा। बिजनेस होगा तो उसमे भी एकछत्र साम्राज्य। उसूल ऐसे होंगे कि परिवार का कोई सदस्य ऐसा न होगा जो बात न आने। पत्नी या पति कितना ही अमीर क्यों न हो उसकी शोहरत को फीका कर देगा ये शनि। कहने को और भी बहुत है।

राहु सातवें स्थान में

जीवन में एक परछाई होगी जो हमेशा पीछा करेगी। एक शकुन होगा जो बताने की कोशिश करेगा कि कुछ होने वाला है। प्रकृति तो हर बार कोशिश करेगी आगे आने वाले समय की सूचना देने की लेकिन जातक विश्वास करे तब न। उस पर जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित होगा उसका अपना कारोबार करना या मर्जी से शादी करना। कारोबार जितना भी चले अपने साथ दुर्भाग्य को भी लाएगा परछाई बना कर। पत्नी कितनी भी खूबसूरत हो वफ़ा का संदेह रहेगा हमेशा। पर विशवास इन दोनों बातों का नहीं होगा।