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जब कौरवों और पांडवों के बीच जुआ खेला जा रहा था तो वहां श्री कृष्ण उपस्थित नहीं थे। श्री कृष्ण ने बाद में इस बात को माना कि आप लोग जुआ खेल पाए अगर कोई मेरा कहना मानते तो मैं बलपूर्वक जूऐ को रोक सकता था अगर आवश्यकता पड़ती तो मैं जुआरियों को ही मार देता परंतु यह सब होने न देता।

श्री कृष्ण ने यह चार प्रकार के भोग कामना जनित दुख बताए हैं प्रबल इच्छा से उत्पन्न होने वाले यह चार दोष हैं

1. स्त्रियों के प्रति आसक्ति

2. जुआ खेलने का शौक

3. शिकार खेलने का शौक

4. शराब पीना।

इनमें से जुए को सबसे ऊपर रखा गया है जो सबसे बड़ा दोष है क्योंकि जुआ खेलने से इंसान एक ही दिन में सारे धन का नाश कर देता है इसकी आदत भी लग जाती है समस्त भोग्य पदार्थ का बिना भोग किये ही नाश हो जाता है।

तो यहां जुए को महान दोष बताया गया है लेकिन आज के समाज में एक तरह से जुआ खेलना कोई अपराध नहीं है।

बदलते समाज के साथ-साथ जुए के रूप भी बदल गए जो पहले चोसर हुआ करता था आज हर तरह के खेल की शक्ल लेने लगा है।

सरेआम कैसीनो चल रहा है शेयर मार्केट में लोग अपना पूरा पैसा हार रहे हैं खेल-खेल में बच्चों के पास अपने माता-पिता के अकाउंट खाली करने की गेम्स आ गई है।

गली नुक्कड़ चौराहे पर सरेआम पैसे लगाकर बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं अब जन्म कुंडली के अनुसार देखा जाए तो आपको यह जानकारी होनी चाहिए

कि अगर आपके घर में किसी का राहु जन्म कुंडली में पांचवें ग्यारवें बारहवें या पहले स्थान में हो तो किसी प्रकार के जुए में पैसे चले जाने का योग होता है।

जिस प्रकार श्री कृष्ण कह रहे हैं कि मैं मदद कर सकता था अगर मुझे बुलाया होता इसी प्रकार ज्योतिष कहता है कि अगर मेरा प्रयोग करोगे तो जुए जैसे महान संकट उपस्थित होने से पहले ही धराशाई हो जाएंगे और जुआ खेलने के संस्कार ही उत्पन्न नहीं होंगे

अगर कोई बच्चा जुआ खेलने का आदी हो चुका है तो नीचे दिया गया उपाय काम आ सकता है

हर बुधवार सुबह के समय शिवलिंग पर भांग चढ़ाएं और जुए से बच्चे की रक्षा के लिए प्रार्थना करें।

पाँच बुधवार के बाद आपको फ़र्क साफ़ नज़र आएगा अपनी माया को शिव ही संभाल लें तो अच्छा है।