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शुक्राचार्य असुरों के गुरु हैं उनकी निष्ठा असुरों के प्रति है परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि देवताओं को उन्होंने कुछ दिया नहीं। देवताओं को भी जो संजीवनी विद्या बृहस्पति के पुत्र के माध्यम से मिली है शुक्र ग्रह की देन है।

केवल संन्यासी ऐसा व्यक्ति होता है जिसे इस ग्रह की कोई आवश्यकता नहीं अन्य सभी लोगों को शुक्र की ज़रूरत पड़ती है। जब प्राणी का जन्म होता है। उस समय से लेकर मृत्युपर्यंत शुक्र ग्रह काम कर रहा होता है। किसी किसी जातक की मृत्यु के उपरांत भी यह ग्रह उसके स्त्री पुत्र संतान आदि का ख़याल रखता है।

पीढ़ियां गुज़र जाती हैं उन लोगों की जिनका शुक्र ग्रह शुभ होता है परंतु मृत संजीवनी विद्या के प्रभाव से उनका वंश चलता रहता है और वंश में लक्ष्मी धन और ऐश्वर्य संसाधनों के रूप में विद्यमान् रहती है।

शुक्र ग्रह के पास अपार अपरिमित बल है परंतु वह अपने बल का प्रयोग असहाय और बलहीन शत्रु पर कभी नहीं करता है बल्कि क्षमा उसका अपना एक हथियार है। जब वह किसी अपराध के लिए किसी को क्षमा कर देता है तब वह अपने बल का ही परिचय देता है। विदित रहे कि शुक्र के द्वारा क्षमा किये जाने पर प्रकृति हमेशा दंड देती है। और वह दंड अपेक्षाकृत अधिक ही होता है।

शुक्र का अगला परिचय उसका चरित्र है यह ग्रह चरित्रवान है और सुंदरता के साथ शालीनता इसका नैसर्गिक गुण है। राहु द्वारा शुक्र पीड़ित हो तो फिर ग़लत माध्यम से सुख उपभोग के साधन उपलब्ध होते हैं परंतु अंततः ये सब सुख साधन शोक पैदा करते हैं।

आपका शुक्र ग्रह कुंडली में चाहे उच्च क्यों ना हो जब आप किसी शालीन और चरित्रवान स्त्री पुरुष पर लांछन लगाते हैं या फिर किसी को बदनाम करते हैं तो आप का शुक्र इस जनम के लिए नीच का हो जाता है

नीच राशि का शुक्र इसी जन्म में आपको दरिद्र बना देता है और आपकी संतान को इसका पूरा फल पूरे जीवन में भोगना पड़ता है। इसके फलस्वरूप वंश वृद्धि नहीं होती और पुत्र सुख के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी इंतज़ार करना पड़ता है

अपनी राशि का शुक्र हो तो शुक्र का प्रभाव नियंत्रण में रहता है परंतु उच्च राशि का शुक्र अहम पैदा करता है घमंड पैदा करता है और इसी घमंड को दोष बनने में देर नहीं लगती।

अपनी राशि का शुक्र होगा तो ये भावनाओं पर नियंत्रण देता है काम वासना पर जातक का पूरा नियंत्रण रहता है परंतु उच्च राशि के शुक्र मैं ऐसा नहीं होता। इसी तरह बलहीन शुक्र कामवासना के कुप्रभावों को बढ़ा देता है। इसी के फल स्वरूप काम वासना के चलते किसी का अहित कर देने से शुक्र ग्रह बर्बाद हो जाता है

शुक्र को करें नियंत्रण में साधना मार्ग से